मेधादक्षिणामूर्तिमन्त्रविधिः(कुछ बात श्री गीर्वाणेन्द्रसरस्वती विरचित प्रपञ्चसारसारसंग्रह से)

जो बात प्रपञ्चसारसारसंग्रह से नहीं है,वो Green highlight से है और् परम्परा भेद् के कारण मे है।

ब्रह्मा ऋषिः(वा शुकब्रह्म)।गायत्री चन्दः।मेधा दक्षिणामूर्तिर्देवता।मेधा बीजम्।स्वाहा शक्तिः।(अथवा:मेधा बीजम्।प्रज्ञा शक्तिः।स्वाहा कीलकं।)शड्दीर्घ न्यास(आं इत्यादि)।…प्रज्ञापादरहितो वा मन्त्रः।

कृष्णाष्टमिरारभ्य कृष्णचतुर्दशीपर्यन्त चत्वारिंशत्सहस्रं जपेत्।आज्येन दशांश पुरश्चरणहोम।लक्षं वा जपेत्,विष्ण्वालये वा पश्चिमद्वारशिवालये वा।अस्मिन्पक्षे क्षीरप्लुतशुद्धतिलैराज्येन पायसान्नेन वा दशांशं पुरश्चरणाहोमः।

ये सब करने के लिए मेधा दक्षिणामूर्ति मंत्र उपदेश(द्वाविंशाक्षर अथवा चतुर्विंशाक्षर) आवश्यक है। बिना मंत्रोपदेश से उपरोक्त कार्य करणीय नही है।